॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी।।२१।।
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना।।२२।।
मैं अदिति के पुत्रों में विष्णु (वामन) और प्रकाशमान वस्तुओं में किरणोंवाला सूर्य हूँ। मैं मरुतों का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चन्द्रमा हूँ।
मैं वेदोंमें सामवेद हूँ, देवताओंमें इन्द्र हूँ, इन्द्रियों में मन हूँ और प्राणियोंकी चेतना हूँ।
ॐ तत्सत् !
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी।।२१।।
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना।।२२।।
मैं अदिति के पुत्रों में विष्णु (वामन) और प्रकाशमान वस्तुओं में किरणोंवाला सूर्य हूँ। मैं मरुतों का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चन्द्रमा हूँ।
मैं वेदोंमें सामवेद हूँ, देवताओंमें इन्द्र हूँ, इन्द्रियों में मन हूँ और प्राणियोंकी चेतना हूँ।
ॐ तत्सत् !
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