Wednesday, 3 May 2017

गीता प्रबोधनी - सातवाँ अध्याय (पोस्ट.०७)

॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥


पुण्यो गन्ध: पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु॥ ९॥

पृथ्वीमें पवित्र गन्ध मैं हूँ और अग्निमें तेज मैं हूँ तथा सम्पूर्ण प्राणियोंमें जीवनीशक्ति मैं हूँ और तपस्वियोंमें तपस्या मैं हूँ।

व्याख्या—
गन्ध और पृथ्वी, तेज और अग्नि, जीवनीशक्ति और प्राणी, तप और तपस्वी-ये सब-के-सब (कारण तथा कार्य) एक भगवान्‌ ही हैं ।

ॐ तत्सत् !

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