॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन् व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः।।१४।।
हे केशव ! मुझसे आप जो कुछ कह रहे हैं यह सब मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन् ! आपके प्रकट होने को न तो देवता जानते हैं और न दानव ही जानते हैं।
व्याख्या—
भगवान् को अपनी शक्तिसे कोई नहीं जान सकता, प्रत्युत भगवान् की कृपा से ही जान सकता है । भगवान् के यहाँ बुद्धिके चमत्कार अथवा विविध प्रकारकी सिद्धियाँ नहीं चल सकतीं । बड़े-से-बड़े भौतिक आविष्कारसे कोई भगवान्को नहीं जान सकता । देवताओं की दिव्यशक्ति तथा दानवों की मायाशक्ति कितनी ही विलक्षण होनेपर भी भगवान् के सामने कुण्ठित हो जाती है ।
ॐ तत्सत् !
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन् व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः।।१४।।
हे केशव ! मुझसे आप जो कुछ कह रहे हैं यह सब मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन् ! आपके प्रकट होने को न तो देवता जानते हैं और न दानव ही जानते हैं।
व्याख्या—
भगवान् को अपनी शक्तिसे कोई नहीं जान सकता, प्रत्युत भगवान् की कृपा से ही जान सकता है । भगवान् के यहाँ बुद्धिके चमत्कार अथवा विविध प्रकारकी सिद्धियाँ नहीं चल सकतीं । बड़े-से-बड़े भौतिक आविष्कारसे कोई भगवान्को नहीं जान सकता । देवताओं की दिव्यशक्ति तथा दानवों की मायाशक्ति कितनी ही विलक्षण होनेपर भी भगवान् के सामने कुण्ठित हो जाती है ।
ॐ तत्सत् !
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