Friday, 4 December 2015

गीताजी की महिमा

भगवान् ने गीता की जितनी महिमा गायी है इतनी और किसी की नहीं गायी | भगवान् ने कहा है कि गीता का प्रचार करने वाले के समान मुझे कोई प्यारा नहीं है और भविष्य में भी उससे बढ़कर प्यारा न होगा | (गीता १८/६९) |
गीता-तत्वविवेचनी का अभ्यास करने वाला व्यक्ति मुझे जितना प्यारा लगता है, उतना प्यारा मुझे और कोई नहीं लगता | गीता में स्वयं शक्ति है वह न समझने वाले और अनपढ़ को भी समझा देती है |
मुझे किसी ने गीता नहीं पढाई और मुझे व्याकरण का तथा संस्कृत का भी ज्ञान नहीं है तथा मेरी बुध्दी भी तीक्ष्ण नहीं है | कोई कहे कि तुम्हे ही ज्ञान हो गया, परन्तु दूसरों को गीता का इतना ज्ञान नहीं हो सकता तो मैं इसे मुर्खता समझता हूँ | मुर्ख आदमी भी अभ्यास करे तो मुझ से बढ़कर हो सकता है, लगन होनी चाहिये |
गीता-तत्वविवेचनी और तत्वचिन्तामणि इन दोनो पुस्तकों में मेरा सिध्दान्त है | जैसे भगवान् ने गीता के अभ्यास करने वाले को सबसे बढ़कर प्रिय कहा है, वैसे ही गीता-तत्वविवेचनी का अभ्यास करने वाला मुझे प्रिय है |
मैंने बहुत से ग्रन्थ पढ़े, पर गीता से बढ़कर मुझे कोई भी ग्रन्थ अच्छा न लगा | गीता की जैसी शैली है वैसी और कहीं नहीं मिली | किसी ने कहा कि गीता को मुसलमान, इसाई सभी मानते हैं | चाहे मत मानो, कोई मत मानो, हमारी गीता तो सबसे बढ़कर है | हम दूसरों की मान्यता से ही बड़ी समझें, यह ठीक नहीं है | कोई महात्मा हो और उसे कोई महात्मा न माने तो क्या वह महात्मा नहीं है | बाइबिल को ज्यादा लोग मानते हैं | इस दृष्टि से तो बाइबिल सबसे बढ़कर हो गयी | गीता न तो किसी धर्म की और न किसी व्यक्ति की निन्दा करती है |
मेरे यह जँच रही है कि यदि धार्मिक पुस्तकें नष्ट भी हो जायँ तो भी इनमे यह गुण है कि इन्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता | इनमे ऐसा अमरत्व है कि ये मारने पर भी नहीं मरते |
जो आदमी थोडा भी अपना हित चाहता है, वह भी इस पर लाठी नहीं चला सकता | हाँ, जो पढ़े ही नहीं, देखे ही नहीं उसकी बात दूसरी है | गीता की महिमा गीता में जो भगवान् ने गायी है वह अक्षरश: सत्य है | यही कहा जा सकता है कि थोड़ी गायी है, थोड़ी इसीलिये कि आप ही कथन करके आप ही उसकी महिमा कैसे कहें |


भगवान् हम सब पर कृपा करें |
जय श्री कृष्णा राधे राधे |

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