॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदु:।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जना:॥ १७॥
जो मनुष्य ब्रह्मा के एक हजार चतुर्युगी वाले एक दिन को और एक हजार चतुर्युगी वाली एक रात्रि को जानते हैं, वे मनुष्य ब्रह्मा के दिन और रात को जानने वाले हैं।
ॐ तत्सत् !
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदु:।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जना:॥ १७॥
जो मनुष्य ब्रह्मा के एक हजार चतुर्युगी वाले एक दिन को और एक हजार चतुर्युगी वाली एक रात्रि को जानते हैं, वे मनुष्य ब्रह्मा के दिन और रात को जानने वाले हैं।
ॐ तत्सत् !
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