Sunday, 7 May 2017

गीता प्रबोधनी - ग्यारहवाँ अध्याय (पोस्ट.१६)

॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥


रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च।
गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घा वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे।।२२।।

जो ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, बारह साध्यगण, दस विश्वेदेव और दो अश्विनीकुमार, उनचास मरुद्गण, सात पितृगण तथा गन्धर्व, यक्ष,असुर और सिद्धों के समुदाय हैं, वे सभी चकित होकर आपको देख रहे हैं।

ॐ तत्सत् !

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