॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याऽश्चर्याणि भारत।।६।।
हे भरतवंशोद्भव अर्जुन ! तू बारह आदित्यों को, आठ वसुओं को, ग्यारह रुद्रों को और दो अश्विनीकुमारों को तथा उनचास मरुद्गणों को देख। जिनको तूने पहले कभी देखा नहीं, ऐसे बहुत से आश्चर्यजनक रूपों को भी तू देख।
व्याख्या—
बारह आदित्य, आठ वसु, ग्यारह रुद्र और दो अश्वनीकुमार-ये तैंतीस कोटि (तैंतीस प्रकारके) देवता सम्पूर्ण देवताओंमें मुख्य हैं । ये सब देवता भगवान्के समग्ररूपके अन्तर्गत हैं ।
ॐ तत्सत् !
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याऽश्चर्याणि भारत।।६।।
हे भरतवंशोद्भव अर्जुन ! तू बारह आदित्यों को, आठ वसुओं को, ग्यारह रुद्रों को और दो अश्विनीकुमारों को तथा उनचास मरुद्गणों को देख। जिनको तूने पहले कभी देखा नहीं, ऐसे बहुत से आश्चर्यजनक रूपों को भी तू देख।
व्याख्या—
बारह आदित्य, आठ वसु, ग्यारह रुद्र और दो अश्वनीकुमार-ये तैंतीस कोटि (तैंतीस प्रकारके) देवता सम्पूर्ण देवताओंमें मुख्य हैं । ये सब देवता भगवान्के समग्ररूपके अन्तर्गत हैं ।
ॐ तत्सत् !
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