Sunday, 7 May 2017

गीता प्रबोधनी - ग्यारहवाँ अध्याय (पोस्ट.१९)

॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥


अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घैः।
भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथाऽसौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः।।२६।।
वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि।
केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः।।२७।।

हमारे मुख्य योद्धाओं के सहित भीष्म, द्रोण और वह कर्ण भी आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। राजाओं के समुदायों के सहित धृतराष्ट्र के वे ही सब के सब पुत्र आपके विकराल दाढ़ों के कारण भयंकर मुखों में बड़ी तेजी से प्रविष्ट हो रहे हैं। उनमें से कई एक तो चूर्ण हुए सिरों सहित आपके दाँतों के बीच में फँसे हुए दीख रहे हैं।

ॐ तत्सत् !

No comments:

Post a Comment