Tuesday, 24 January 2017

गीता प्रबोधनी - चौथा अध्याय (पोस्ट.०६)


वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिता:।
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागता:॥ १०॥

राग, भय और क्रोध से सर्वथा रहित, मुझ में तल्लीन, मेरे ही आश्रित तथा ज्ञानरूप तप से पवित्र हुए बहुत-से भक्त मेरे स्वरूप को प्राप्त हो चुके हैं।

ॐ तत्सत् !

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