युञ्जन्नेवं सदात्मानं योगी नियतमानस:।
शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति॥ १५॥
वशमें किये हुए मनवाला योगी मनको इस तरह से सदा (परमात्मामें) लगाता हुआ मुझ में सम्यक् स्थिति वाली जो निर्वाणपरमा शान्ति है, उसको प्राप्त हो जाता है।
ॐ तत्सत् !
शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति॥ १५॥
वशमें किये हुए मनवाला योगी मनको इस तरह से सदा (परमात्मामें) लगाता हुआ मुझ में सम्यक् स्थिति वाली जो निर्वाणपरमा शान्ति है, उसको प्राप्त हो जाता है।
ॐ तत्सत् !
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