कामक्रोधवियुक्तानां यतीनां यतचेतसाम् ।
अभितो ब्रह्रानिर्वाणं वर्तते विदितात्मनाम् ॥२६॥
काम- क्रोध से सर्वथा रहित, जीते हुए मन वाले और स्वरूप का साक्षात्कार किये हुए सांख्य योगियों के लिये सब ओर से (शरीर के रहते हुए अथवा शरीर छूटने के बाद) निर्वाण ब्रह्म परिपूर्ण है।
अभितो ब्रह्रानिर्वाणं वर्तते विदितात्मनाम् ॥२६॥
काम- क्रोध से सर्वथा रहित, जीते हुए मन वाले और स्वरूप का साक्षात्कार किये हुए सांख्य योगियों के लिये सब ओर से (शरीर के रहते हुए अथवा शरीर छूटने के बाद) निर्वाण ब्रह्म परिपूर्ण है।
ॐ तत्सत् !
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